फरवरी का महीना लगभग खत्म हो चुका है इसी के साथ मुंबई सहित देशभर में अब गर्मी का असर दिखने लगेगा. गरमी में स्वस्थ रहने के लिए खान-पान, व्यायाम और कपड़ों को लेकर एहतियात बेहद जरुरी होता है. गर्मी के मौसम में बाहरी तापमान बढ़ने से हमारे शरीर का ताप भी बढ़ जाता है. चिलचिलाती धूप और गर्म हवाओं के गर्म मौसम में शरीर डि-हाइड्रेट हो जाता है. यानी पानी की कमी हाेने लगती है, जिससे कार्यक्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है. इसलिए हमें ऐसा खान-पान रखना चाहिए, जो शरीर को ठंडा रखे. गर्मियों में हमारा पाचन-तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है, इसलिए जरूरी है कि ताजा और हल्का भोजन किया जाए. गर्मियों में यदि खानपान अच्छा हो, तो हम कई बीमारियों से बच सकते हैं.  

गर्मियां शुरू हो रही हैं और ऐसे में बहुत जरूरी है कि हम अपने खानपान का पूरा ध्यान रखें. खासतौर पर ऐसा खान-पान होना चाहिए तो कि शरीर को ठंडा करें. ग्रीष्म ऋतु में आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का स्वाभाविक बल क्षीण होता है एवं इसका अनुभव हम प्रत्यक्ष रूप से महसूस भी करते हैं. ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक उष्णता एवं शरीर से अत्यधिक पसीना निकलने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होती है. शरीर में लू  लगने का भय बना रहता है. इसलिए गर्मी के मौसम में घर से बिना खाए-पीए निकलना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है लेकिन भूख से अधिक खाकर पेट को भारी भी न करें बल्कि भूख से थोड़ा कम ही खाएं अन्यथा अधिक भोजन करने से अपच, उल्टी और दस्त की शिकायत हो सकती है. लंबे समय तक भूखा भी न रहें. भोजन के अभाव में शरीर में कमजोरी ही नहीं आती बल्कि वायु प्रकोप भी होता है. घर से निकलने से पहले काम से काम हल्का नाश्ता तो जरूर कर लेना चाहिए. मौसम के अनुसार खान-पान हल्का व सादा होना चाहिए. भोजन में मौसमी सब्जियों, दूध, दही व मट्ठे को भी सम्मिलित करना चाहिए. ये सभी स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी फायदेमंद होते हैं. पुदीना, प्याज व धनिया की चटनी बनाकर खाएं. इससे खाना जहां जल्दी पचेगा व भूख भी बढ़ेगी.
बासी खाना नहीं खाना
गर्मियों में बासी खाना खाने से खासतौर पर बचना चाहिए. बासी खाना पेट में संक्रमण पैदा करता है, जिससे उल्टी व पेट में दर्द की शिकायत भी हो सकती है. तले और मिर्च मसाले युक्त पदार्थों का सेवन अधिक न करें. सड़ा-गला व खुला पदार्थ बिल्कुल नहीं खाना चाहिए. क्योंकि इससे हैजा होने की संभावना अधिक रहती है. खाने-पीने की वस्तुएं ढक कर रखनी चाहिए. इस दौरान शरीर को तरल पदर्थों की सर्वाधिक जरुरत पड़ती है. यदि उचित मात्रा में पानी न पिया जाए, तो कोशिकाओं में पानी की कमी हो जाती है, जिससे इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बिगड़ जाता है और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. गर्मियों में मधुर शीतल पचने में हल्के तथा द्रव पदार्थों का सेवन करना चाहिए. दूध, मिसरी, सत्तू, शीतल जल एवं पना पीना लाभप्रद होता है. ग्रीष्म ऋतु  में अधिक चटपटे, खट्टे पदार्थों का सेवन न करें एवं अत्यधिक शारीरिक श्रम एवं व्यायाम न करें. इस ऋतु में भोजन के प्रति रुचि कम होती है, लेकिन फिर भी  भोजन निश्चित समय पर करें। आदत न हो तो डाले. बेसमय किया गया भोजन का शरीर पर (सेहत पर) बुरा प्रभाव पड़ता है.
तरल पदार्थों के सेवन को दें प्राथमिकता
अत्यधिक तापमान एवं पसीने से शरीर के जलीय अंश की पूर्ति हेतु यथा आवश्यक अधिक पानी एवं फलों के रसों का प्रयोग करना चाहिए. बाजारों में मिलनेवाले बोतल शीत बंद पेयों के सेवन से बचाना चाहिए. क्योंकि इनमें अप्राकृतिक सुगंध और केमिकल्स तथा सकरीन का प्रयोग होता है, जो शरीर के लिए हानिकारक होता है. बेहतर यही होगा कि घर में ही दही की लस्सी, कोकम का तेल, शरबत, नींबू, शरबत या शिकंजी बनाकर लें. ये सभी गर्मी की परेशानियों से राहत दिलाते हैं।इस मौसम में प्यास बुझाने के लिए मौसमी फल जैसे अंगूर, अनानास, अनार, आम व नारियल का रस पिएं. इसके अतिरिक्त पके तरबूज, इमली, तरबूज, आम व ककड़ी का सेवन करें. आम का पना पीना लाभदायक होता है. लू भी नहीं लगती तथा गर्मी दूर भागती है. रात्रि में सोने के पूर्व एक गिलास मीठे दूध में दो चम्मच शुद्ध घी मिलाकर अवश्य पिएं. यह संभव न हो तो एक गिलास ठंडा पानी ही पीएं. घर से बाहर जाएं तो भी दिन में पानी पीकर ही निकले, लू नहीं लगती. प्रतिदिन सुबह शौच जाने के पूर्व एक गिलास पानी पिएं. इससे कब्ज नहीं होता. नींबू निचोड़ कर भी पी सकते हैं. इन दिनों किसी भी विषय पर ज्यादा न सोचे, गंभीरता से न लें और न ही किसी से झगड़ा करें. अन्यथा मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा. इसका असर पाचन प्रणाली पर पड़ता है. सुबह जल्दी उठें. पैदल चलें, हल्का व्यायाम करें. यह स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है. रात में अधिक देर तक न जागे. सदा प्रसन्न रहें, चिंता न करें, और आशावादी बने. इन दिनों चाय, कॉफी का सेवन कम करें.

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