शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आखिरी चरण में पहुंच गया है. आज महा अष्टमी तिथि है. नवरात्र में होम हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नवरात्र की पूजा का पूर्ण फल पाने के लिए अष्टमी या फिर नवमी तिथि पर होम हवन के साथ कन्या पूजन का विधान है. लेकिन हवन करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है.
पंचांग के अनुसार, इस बार मंगलवार (30 सितंबर) को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी. इसी दिन हवन और कन्या पूजन भी किया जाएगा. जो लोग किसी कारण वश अष्टमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन नहीं कर पाएंगे अथवा जो लोग नवमी तिथि मनाते हैं, वे महानवमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन कर सकते हैं. इस बार महानवमी 1 अक्टूबर (बुधवार) को पड़ रही है.

कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि की पूजा कन्या पूजन के बिना अधूरी मानी जाती है. नवरात्रि के 9 दिनों में किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि पर करना अत्यंत शुभ माना जाता है. 10 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन विशेष पुण्यदायक होता है. पूजा में 9 कन्याओं और एक बालक (भैरों बाबा के रूप में) शामिल करना शुभ माना जाता है. इस नवमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन से न केवल धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की भी प्राप्ति होती है.

हवन के नियम
हवन करने से पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें. हवन कुंड या वेदी को साफ करें और पूजा सामग्री व्यवस्थित करें.
हवन शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और चावल लेकर देवी मां के सामने हवन का संकल्प लें.
देवी दुर्गा के नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ या दुर्गा सप्तशती के मंत्रों से आहुति दें.
सभी देवी-देवताओं, नवग्रहों और अंत में मां दुर्गा को हवन सामग्री (जौ, तिल, चावल, घी, चीनी, गुग्गुल, आदि) की आहुति समर्पित करें।
कम से कम 108 आहुति देना सबसे शुभ माना जाता है.
हवन के अंत में, एक नारियल पर कलावा लपेटकर, उसमें सुपारी, सिक्का और अन्य सामग्री रखकर, उसे घी में डुबोकर, मंत्रों के साथ अग्नि को समर्पित करें। यह पूर्णाहुति कहलाती है.
हवन के बाद मां दुर्गा की आरती करें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें.
इसके बाद कन्या पूजन कर व्रत का पारण करें.

हवन पूजा मंत्र
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ माधवाय नमः
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।।
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।।

अष्टमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि आज 29 सितंबर शाम 4 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 30 सितंबर यानी कल शाम 6 बजकर 6 मिनट तक रहेगी. महाअष्टमी पर कल कन्या पूजन के लिए कई मुहूर्त मिलने वाले हैं. जिनमें पहला मुहूर्त कल सुबह 5 बजकर 01 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक कन्या पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक रहने वाला हैं. आप अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट के बीच भी अष्टमी का कन्या पूजन कर सकते हैं.

नवमी के दिन कन्या पूजन का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 30 सितंबर की शाम 6:06 बजे से नवमी तिथि शुरू होकर 1 अक्टूबर की शाम तक रहेगी इसलिए उदया तिथि में 1 अक्टूबर को नवमी तिथि मान्य होगी.
ब्रह्म मुहूर्त: 04:37 AM से 05:26 AM

विजय मुहूर्त: 02:09 PM से 02:57 PM

गोधूलि मुहूर्त: 06:07 PM से 06:31 PM

अमृत काल: 02:31 AM से 04:12 AM (2 अक्टूबर)

निशिता मुहूर्त: 11:46 PM से 12:35 AM (2 अक्टूबर)

रवि योग: 08:06 AM से 06:15 AM (2 अक्टूबर)
नवरात्रि के नवमी में हवन मुहूर्त: 1 अक्टूबर को सुबह 06:14 AM से लेकर शाम 06:07 PM तक यानी पूरे 11 घंटे 53 मिनट समय रहेगा.

डिस्क्लेमर : इस लेख में बताए गए उपाय / लाभ / सलाह और कथन धार्मिक एवं ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित हैं. ‘तह की बात’ इनकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी तरह के अंध विश्वास को बढ़ावा देना हमारा मकसद नहीं है. अतः कोई भी प्रयोग या व्यवहार सोच विचार करके अपने जोखिम और किसी जानकार की सलाह के बाद ही करें.

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